दोस्तों! आज हम बात करेंगे हज़रत बीबी फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा के बारे में, जो हमारे प्यारे नबी ﷺ की लाडली बेटी, हज़रत अली रज़ि. अल्लाह अन्हा की बीवी, और इमाम हसन व हुसैन रज़ि. अल्लाह अन्हा की वालिदा थीं। उनकी वफात (मृत्यु) का वाकया इतना दर्दनाक है कि सुनकर आपकी आंखों से आंसू छलक जाएंगे। चलिए, शुरू करते हैं।
हज़रत बीबी फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा की सादगी और सखावत
हज़रत बीबी फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा की जिंदगी सादगी और कुर्बानी से भरी थी। एक बार एक बूढ़ी औरत उनके पास आई और बोली, “ऐ बिनते रसूल, मैं तीन दिन से भूखी हूं, मुझे कुछ खाने को दीजिए।” हज़रत फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा ने जवाब दिया, “मैं भी सात दिन से रोटी की शक्ल नहीं देखी। लेकिन अभी-अभी चार मुट्ठी जौ आए हैं, मैं इन्हें पीसकर रोटी बनाकर आपको खिला देती हूं।”
उन्होंने चक्की चलाकर आटा पीसा, रोटियां बनाईं, और वह औरत को खिला दीं। जब उस औरत ने कहा, “आप भी तो भूखी हैं, कुछ अपने लिए रख लें,” तो हज़रत फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा ने फरमाया, “जिस चीज को सदका कर दिया जाए, उसमें से कुछ भी अपना हिस्सा नहीं होता।”

नबी करीम ﷺ का फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा के लिए प्यार
एक बार नबी करीम ﷺ फाके (भूख) से थे। रास्ते में उनकी मुलाकात हज़रत अबू बकर और हज़रत उमर रज़ि. अल्लाह अन्हुमा से हुई, जो वे भी फाके से थे। नबी करीम ﷺ उन्हें लेकर हज़रत अबू अयूब अंसारी रज़ि. अल्लाह अन्हा के बाग में गए। वहां खजूर और बकरे का गोश्त पेश किया गया। जब दस्तरखान बिछाया गया, तो नबी करीम ﷺ ने फरमाया, “यह गोश्त मेरी बेटी फातिमा को भेज दो, वह कई दिनों से फाके से है।”
हज़रत अली रज़ि. अल्लाह अन्हा के साथ जिंदगी
हज़रत बीबी फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा ने कभी भी अपने शौहर हज़रत अली रज़ि. अल्लाह अन्हा को परेशान नहीं किया। एक बार हज़रत अली रज़ि. अल्लाह अन्हा ने खाने के लिए मांगा, तो हज़रत फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा ने कहा, “घर में तीसरा दिन है, फाका है।” हज़रत अली रज़ि. अल्लाह अन्हा ने पूछा, “तुमने मुझे क्यों नहीं बताया?” तो हज़रत फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा ने जवाब दिया, “मेरे बाबा ने मुझे वक्ते रुखसती (विदाई के वक्त) नसीहत की थी कि मैं कभी सवाल करके आपको परेशान ना करूं।”

हज़रत बीबी फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा की बीमारी और वफात
हज़रत बीबी फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा बीमार पड़ गईं। उन्होंने अपने शौहर हज़रत अली रज़ि. अल्लाह अन्हा से तीन बातें कहीं:
- “अगर मैंने आपके साथ कोई गलती की हो, तो मुझे माफ कर दीजिएगा।”
- “अगर आप दूसरी शादी करना चाहें, तो कर लीजिएगा, लेकिन मेरे बच्चों को मेरी तरह प्यार दीजिएगा।”
- “मेरे जनाजे में किसी को ना बुलाइए, क्योंकि मैंने आज तक अपना पर्दा बनाए रखा है।”
हज़रत अली रज़ि. अल्लाह अन्हा ने उनकी सारी बातें मान लीं।
हज़रत बीबी फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा का इंतकाल
हज़रत बीबी फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा का इंतकाल हो गया। उनके जनाजे में सिर्फ हज़रत अली रज़ि. अल्लाह अन्हा, इमाम हसन और इमाम हुसैन रज़ि. अल्लाह अन्हुमा, और हज़रत अब्बास रज़ि. अल्लाह अन्हा शामिल थे। उन्हें रात के अंधेरे में दफनाया गया, ताकि किसी गैर महरम की नजर उन पर ना पड़े।
जरुरी बातें :-
हज़रत बीबी फातिमा रज़ि. अल्लाह अन्हा की जिंदगी हमें सिखाती है कि ईमानदारी, सब्र, और कुर्बानी कैसे इंसान को अल्लाह के करीब ले जाते हैं। अल्लाह तआला से दुआ है कि हमें भी उनकी तरह एक सच्ची और ईमानदार जिंदगी गुजारने की तौफीक अता फरमाए। आमीन।
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