जानिए बीबी फातिमा (र.अ.) के रोज़े का दर्दभरा वाक़िया, जब उन्होंने भूखे बच्चों को खाना खिलाया और खुद पानी पीकर इफ्तार किया। यह कहानी सब्र और अल्लाह पर भरोसे की मिसाल है।
बीबी फातिमा (र.अ.) का रोज़े का दर्दभरा वाक़िया
रमज़ान का महीना था, मदीना में खुशियाँ फैली हुई थीं। लेकिन बीबी फातिमा (र.अ.) के घर में सिर्फ़ पानी था। उन्होंने अपने बच्चों को खाना खिलाया और खुद पानी पीकर इफ्तार किया। यह कहानी सब्र और अल्लाह पर भरोसे की मिसाल है। आइए, इस दर्दभरे वाक़िए को समझते हैं।

रमज़ान की सहरी और भूख की तड़प
- सहरी का वक़्त: बीबी फातिमा (र.अ.) ने पूरी रात इबादत की, लेकिन सहरी के लिए घर में सिर्फ़ पानी था।
- अल्लाह पर भरोसा: उन्होंने पानी पीकर अल्लाह से दुआ की, “ऐ अल्लाह, मैं यह रोज़ा तेरी रज़ामंदी के लिए रख रही हूँ। तेरी तंगी भी तेरी रहमत है।”
- बच्चों की भूख: छोटे हसन और हुसैन (र.अ.) ने मासूमियत से कहा, “अम्मी जान, हमें बहुत भूख लगी है।”
हज़रत अली (र.अ.) की मेहनत और सब्र
- काम की तलाश: हज़रत अली (र.अ.) ने पूरे दिन काम की तलाश की, लेकिन कुछ नहीं मिला।
- खजूर के बदले काम: एक अमीर व्यापारी ने उन्हें खजूर के बाग़ में काम दिया, लेकिन मजदूरी के बदले सिर्फ़ कुछ खजूर दिए।
- अल्लाह का शुक्र: हज़रत अली (र.अ.) ने खजूर लेकर अल्लाह का शुक्र अदा किया और घर लौटे।
इफ्तार का वक़्त और भिखारी की दरख्वास्त
- इफ्तार की तैयारी: घर में सिर्फ़ कुछ खजूर और पानी था। सबने इफ्तार के लिए बैठने की तैयारी की।
- भिखारी की दरख्वास्त: इफ्तार से पहले एक भिखारी ने दरवाज़े पर आकर कहा, “मैं पूरा दिन भूखा हूँ, कृपया मुझे कुछ खाने को दें।”
- सखावत की मिसाल: बीबी फातिमा (र.अ.) ने अपना इफ्तार भिखारी को दे दिया और खुद पानी पीकर इफ्तार किया।
अल्लाह की रहमत – जन्नत का खाना
- जिब्रील (अ.स.) का आगमन: अल्लाह ने जिब्रील (अ.स.) को जन्नत से खाना लाने का हुक्म दिया।
- जन्नत का खाना: जिब्रील (अ.स.) ने बीबी फातिमा (र.अ.) के घर जन्नत की रोटियाँ, खजूर और शहद भेजा।
- अल्लाह का इनाम: यह खाना बीबी फातिमा (र.अ.) के सब्र और तक़्वा का इनाम था।
मदीना में चर्चा और मुनाफिक़ों की शक़
- मदीना में चर्चा: पूरे मदीना में यह बात फैल गई कि बीबी फातिमा (र.अ.) के घर जन्नत का खाना आया है।
- मुनाफिक़ों की शक़: कुछ मुनाफिक़ों ने इस वाक़िए पर शक़ जताया और इसे झूठा बताने की कोशिश की।
- रसूल (स.अ.व.) का जवाब: हज़रत मुहम्मद (स.अ.व.) ने फरमाया, “अल्लाह अपने नेक बंदों के लिए कुछ भी कर सकता है।”
बीबी फातिमा (र.अ.) की दुआ और सबक़
- दुआ: बीबी फातिमा (र.अ.) ने अल्लाह से दुआ की, “ऐ अल्लाह, हमें दुनिया से कुछ नहीं चाहिए, बस तेरी रज़ा चाहिए।”
- सबक़: यह वाक़िया हमें सिखाता है कि सब्र और अल्लाह पर भरोसा रखने वालों को अल्लाह कभी निराश नहीं करता।
जरुरी बातें:
“बीबी फातिमा (र.अ.) का यह वाक़िया हमें सिखाता है कि अल्लाह पर भरोसा रखने और सब्र करने वालों को वह कभी निराश नहीं करता। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करें और कमेंट में लिखें – ‘अल्लाह हमें भी सब्र की तौफ़ीक दे।’
FAQs :–
1. बीबी फातिमा (र.अ.) ने अपना इफ्तार क्यों दूसरों को दिया?
उन्होंने दूसरों की भूख को अपनी भूख से ऊपर रखा और अल्लाह की रज़ा के लिए सब्र किया।
2. जन्नत का खाना कैसे आया?
अल्लाह ने जिब्रील (अ.स.) को जन्नत से खाना लाने का हुक्म दिया, जो बीबी फातिमा (र.अ.) के सब्र का इनाम था।
3. इस वाक़िए से हमें क्या सीख मिलती है?
यह वाक़िया हमें सब्र, तक़्वा और दूसरों की मदद करने का सबक़ देता है।