जानिए दुनिया का पहला रोज़ा किसने रखा, रमज़ान कब से शुरू हुआ, और इस पाक महीने का इतिहास। रोज़े के फ़ायदे, पिछली उम्मतों के रोज़े, और कुरान की नज़िल का सफ़र।
दुनिया का पहला रोज़ा किसने रखा? रमज़ान का इतिहास और महत्व
रमज़ान का महीना बरकत और रहमत का महीना है, जिसमें मुसलमान रोज़े रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का पहला रोज़ा किसने रखा? रमज़ान कब से शुरू हुआ? और पिछली उम्मतों के रोज़े कैसे होते थे? आइए, इस पाक महीने के इतिहास और फ़ायदों को समझते हैं।

रोज़े का हुक्म कब और क्यों दिया गया?
- कुरान की आयत: सूरह अल-बक़रह (2:183) में अल्लाह ने फ़रमाया, “ऐ ईमान वालो, तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए, जैसे तुमसे पहले लोगों पर फ़र्ज़ किए गए थे, ताकि तुम परहेज़गार बन सको।”
- मकसद: रोज़े का मकसद सिर्फ़ भूखे-प्यासे रहना नहीं, बल्कि तक़्वा (अल्लाह का डर) हासिल करना है।
पिछली उम्मतों के रोज़े कैसे होते थे?
1. हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम):
- हर महीने 13वीं, 14वीं, और 15वीं तारीख़ को रोज़े रखते थे।
- ये रोज़े जन्नत से निकाल दिए जाने के बाद तौबा के तौर पर रखे जाते थे।
2. हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम):
- हज़रत आदम की तरह हर महीने तीन दिन रोज़े रखते थे।
- ये रोज़े तूफ़ान-ए-नूह से निजात पाने के बाद अल्लाह का शुक्र अदा करने के लिए थे।
3. हज़रत दाऊद (अलैहिस्सलाम):
- एक दिन रोज़ा रखते थे और एक दिन इफ़्तार करते थे।
- यानी पूरे साल में आधे दिन रोज़े रखते थे।
4. हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम):
- अल्लाह ने उन्हें लगातार तीन महीने तक रोज़े रखने का हुक्म दिया था।
- ये रोज़े तौरात (Torah) की नज़िल के लिए थे।
5. हज़रत मरियम (अलैहिस्सलाम):
- उनका रोज़ा ख़ामोशी का था, यानी बात न करने का।
- ये रोज़ा उन्होंने हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) की पैदाइश के वक़्त रखा था।
रमज़ान कब से शुरू हुआ?
- कुरान की नज़िल: रमज़ान के महीने में पहली बार कुरान नाज़िल हुआ।
- रोज़े का हुक्म: हिजरी सन 2 में, यानी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की हिजरत के डेढ़ साल बाद, रोज़े फ़र्ज़ किए गए।
यहूदी और ईसाई भी रोज़े रखते थे
- यहूदी: 10 मुहर्रम (यौम-ए-आशूरा) का रोज़ा रखते थे, जो फिरऔन से निजात पाने की याद में था।
- ईसाई: हर महीने की 13वीं, 14वीं, और 15वीं तारीख़ को रोज़े रखते थे।
रमज़ान की फ़ज़ीलत और फ़ायदे
1. आसमान के दरवाज़े खुलते हैं:
- रमज़ान की पहली रात से आख़िरी रात तक आसमान के दरवाज़े खुले रहते हैं।
- अल्लाह रोज़ेदारों की मग़फ़िरत (माफ़ी) फ़रमाता है।
2. सेहत के फ़ायदे:
- दिल और दिमाग़: रोज़े से दिल मज़बूत होता है और दिमाग़ तेज़ होता है।
- मोटापा कम होता है: रोज़े से शरीर की फ़ालतू चर्बी कम होती है।
- हाजमा दुरुस्त होता है: पाचन तंत्र को आराम मिलता है।
- फेफड़े साफ़ होते हैं: रोज़े से फेफड़ों में जमा गंदा खून साफ़ होता है।
3. रूहानी फ़ायदे:
- तक़्वा (अल्लाह का डर) बढ़ता है।
- ग़रीबों की हालत का एहसास होता है।
- रोज़ेदार की दुआ क़ुबूल होती है।
रोज़े का मकसद सिर्फ़ भूखे-प्यासे रहना नहीं
- रोज़े का मकसद इंसान को परहेज़गार बनाना है।
- रोज़े से इंसान अपनी नफ़्स (इच्छाओं) पर क़ाबू पाता है।
- रोज़े से इंसान अल्लाह के करीब होता है।
ज़रूरी बातें:
“रमज़ान का महीना अल्लाह की रहमत और बरकत का महीना है। इस महीने में रोज़े रखकर हम न सिर्फ़ अपनी रूह को साफ़ करते हैं, बल्कि अपनी सेहत को भी बेहतर बनाते हैं। अगर आपको ये जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करें और कमेंट में लिखें – ‘रमज़ान मुबारक!’“
FAQs
1. क्या रोज़े सिर्फ़ मुसलमानों के लिए हैं?
नहीं, पिछली उम्मतों पर भी रोज़े फ़र्ज़ थे, लेकिन उनका तरीक़ा अलग था।
2. रमज़ान में कुरान कब नाज़िल हुआ?
रमज़ान के महीने में लैलतुल क़द्र (शब-ए-क़द्र) की रात को कुरान नाज़िल हुआ।
3. रोज़े सेहत के लिए फ़ायदेमंद हैं?
हां, रोज़े से दिल, दिमाग़, और पाचन तंत्र मज़बूत होता है।